स्वयंसेवक होमगार्ड एक्ट में आशिंक संशोधन कर अतीत को पीछे छोड़ एक नया कीर्तिमान बनाए सरकार

स्वयंसेवक होमगार्ड एक्ट में आशिंक संशोधन कर अतीत को पीछे छोड़ एक नया कीर्तिमान बनाए सरकार

स्वयंसेवक: होमगार्ड एक्ट में आशिंक सशोधन कर अतीत को पीछे छोड़...एक नया कीर्तिमान बनाए सरकार


दौसा, एक संस्था..होमगार्ड्स.! जो कहीं भी किसी भी अन्य विभाग से अगर.! बीस नही तो उन्नीस भी नही.! जब भी स्टेट से बाहर ड्यूटी पर गए.! नाम कमाया,,स्टेट में कोई भी ड्यूटी..! कैसी भी हो संकोच नही,,,मेहनती और कर्मठ...! केंन्द्र सरकार ने 162 साल बाद दण्ड संहिता को भारतीय रूप दे दिया अंग्रेजों के कानून से देश को मुक्ति मिली और भारतीय दण्ड संहिता तैयार हो गई अब जरूरत हैं। गृह रक्षा को और मजबूत करने और विभाग में एक समानता लाने की। क्योंकि विभाग में धरातल पर काम कर रहे होमगार्डस को स्वयंसेवक का दर्जा प्राप्त हैं। जोकि बॉम्बे एक्ट 1946 में यह दर्जा होमगार्ड के माथे पर थोपा गया था। गृह मंत्री अमित शाह ने 2023 में एक अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन में उन्होंने कहा था। कि कोई भी कानून अंतिम नही और समय के साथ उनमें बदलाव जरूरी हैं। लेकिन होमगार्ड के नियम कानून को आज भी अंतिम समझा जा रहा हैं। 77 साल बीत जाने के बावजूद केंद्र या राज्य सरकार द्वारा कोई बदलाव नही किए गए।होमगार्ड जवानों को स्वयंसेवक कह कर गुमराह कर दिया जाता हैं। जबकि स्थाई स्टाफ और होमगार्ड दोनों का एक ही एक्ट हैं। जानकारी के अनुसार 2007 से पहले पुलिस अधीक्षक होमगार्ड के कमाडेन्ट होते थे। तब तक सरकार के सामने रिपोर्ट होमगार्ड जवानों के प्रशिक्षण और ड्यूटी सम्बंधित मामले सरकार के समक्ष रखे जाते थे। लेकिन 2007 में अपने फायदे के लिए विभाग अपनी शक्तियों को बढ़ाने व स्वयंसेवकों पर शिकंजे कसने के लिए होमगार्ड एक्ट 1962-63 में करीब 3 बार संशोधन करवा लिए जो निम्न प्रकार हुए।

➡️पहला संशोधन वर्ष 2007 में पुलिस अधीक्षक से स्वयं कमाडेन्ट हेतू ।

➡️दुसरा संशोधन वर्ष 2009 में एक्ट में संशोधन करवा कर पुलिस अधीक्षक से कमाडेन्ट की शक्तियां छिन ली गई । 

➡️तीसरा संशोधन वर्ष 2019 में एक्ट में संशोधन ये संशोधन विभाग ने अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए करवाया। 

गौरतलब है कि आजादी के 75 साल बाद भी होमगार्ड स्वयंसेवकों का शोषण-दमन जारी है। सरकार को एक पहल ये भी करनी चाहिए कि बदलते समय के अनुसार होमगार्ड विभाग में एक समानता लानी चाहिए। 77 साल पहले पूर्वजों की सरकारों द्वारा होमगार्ड को स्वयंसेवी का दर्जा दिया गया था और वर्तमान में भी होमगार्ड को स्वयंसेवक कहा जाता हैं। बदलते समय के साथ साथ हर विभाग के नियम कानून बदल दिए गए। लेकिन होमगार्ड स्वयंसेवकों के नियम कानून आज भी वहीं हैं। जो 77 साल पहले थे। जबकि उस समय की फोर्स तथा डिपार्टमेंट के अस्थाई कर्मचारी नियमित हो चुके। लेकिन होमगार्ड आज भी नियमितीकरण का इंतजार कर रहा हैं। केंद्र या सरकार को स्वयंसेवक शब्द होमगार्ड एक्ट में आशिंक संशोधन कर अतीत को पीछे छोड़ एक नया कीर्तिमान बनाना चाहिए। 

स्वयंसेवकों व स्वयंसेवक भर्ती के लिए हुए तीन संशोधन

➡️ पहला संशोधन 28 जनवरी 2020 में भर्ती 8 वीं पास और उम्र 18 से 35 वर्ष हेतू  हुआ।

➡️ दुसरा संशोधन 28 मई 2021 में सेवा अवधि 58 वर्ष हेतू हुआ।

➡️ तीसरा संशोधन 11अगस्त 2023 में नवीनीकरण हेतू संशोधन होमगार्ड एक्ट में स्वयंसेवकों के लिए हुए। 

इन बिंदुओं पर आशिंक संशोधन की जरूरत

➡️ स्वयंसेवक शब्द होमगार्ड एक्ट 1962/63 में आशिंक सशोधन हो।

➡️ राजस्थान होमगार्ड अधिनियम 1963 में आशिंक संशोधन कर पदेन कमान्डेन्ट के रूप में जिला पुलिस अधीक्षक नियुक्त हो। 

राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1984 में कांस्टेबल होमगार्डस पद पर सीधी नियुक्ति हेतू आदेश जारी किये गए थे। उस वक्त स्वयंसेवक के 2 वर्ष के अनुभव पर स्वयंसेवक को स्थाई किया गया। प्रदेश में लगभग 30 हजार होमगार्ड है। और इन सभी होमगार्ड के पास वर्तमान में 5,10,15,20,25,और 30 साल का अनुभव हैं। उसके बावजूद सरकारे उन्हें नियमित नही कर रही हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय में मॉडल होमगार्ड बिल 1965 और 1969 में संशोधन प्रक्रियाधीन है।