एक स्त्री को कई किरदारो से गुजरना होता है।

एक स्त्री को कई किरदारो से गुजरना होता है।
@ द भास्वर टाईम्स
पता नही कब यह झिरियां धीरे- धीरे हमारे दिलों के दरिचों के बीच में आ जाती है,एक को यूँ कहकर छोड़ते है चला लेंगे लेकिन शायद हम वही गलती कर बैठते है जीवन भर के वास्ते ये मालूम ही नही पड़ता कब छोटी सी झिरी बड़ा रूप ले लेती है और इसको हम रफू से भी ठीक नही कर पाते है।
कई बार कोशिशों के बावजूद आजतक झिरियों में से वो झाँकते सुहाने पलो को देख कर इक टीस उठती है मन में क्या गलती करी रिश्ते को इतना ईमानदारी से संजोया था मैंने अपने सब गमों को छिपाया और तुम्हें खुशी दी जो तुमने मुझसे उम्मीद करी उसको पूरा करने में कभी पीछे नही हटी थी,तुम्हारे बोलने भर से तुम्हारी खुशी-गम को पहचान जाती थी फिर बताओ न कब कहाँ मुझसे चूक हुई रिश्ता निभाने में एक स्त्री को कई किरदारों से गुजरना होता है फिर भी तुम्हारे किरदार में मैंने खुशबू भरी मुझसे बन पड़ी जितनी बिखेरी थी,आज भी पहला गुलिस्ता तुम्हारा दिया देखती हूँ तो यह स्मरण होता है की में वो ही हूँ क्या???
तुम्हारे साथ भी मैं भी अपनी ख्वाहिशों को साझा करना चाहती थी, शायद तुम्हारे साथ पूरी होगी या यूँ कह लो की तुम पूरी करोगे लेकिन किस्मत ने यहां भी दगा दिया ,तुम मेरे अहसासों व भावनाओं को समझोगे पर तुमने तो महसूस ही नहीं करा तो समझते कैसे??
पुरुष वक्त निकाल सकता है कैसे भी हालातों में लेकिन एक स्त्री के लिए नामुमकिन नहीं बल्कि बहुत मुश्किल होता है।
लेकिन मैंने उस नामुमकिन
मुमकिन बनाया था और शायद कई बार बनाया था कुछ लम्हों के लिए ही सही तुम मेरी जगह जी कर देखो नामुमकिन को मुमकिन बना कर देखो शायद तुम्हें समझ आ जाए कितना मुश्किल भरा होता है जैसे कोई वीरान सी जगह पर अकेले चलना कोई पीछा तो नहीं कर रहा कोई झाँक तो नहीं रहा है उस बीच में से तिल भरी रौशनी दिखना और चेहरे सुकून आना जैसे में जीत गई साफ बच आई और फिर मुझसे मिलकर तुम्हारे चेहरे पर वो मुस्कान, अहसास,महसूस किये।
एक बात बताऊ मैंने हर बार यही किया तुम्हें ज्यादा से ज्यादा खुश रख सकूँ पर शायद कही चूक गई तुमने बहानो के ऐसे किले बना दिये जिसे मेरे आसूं मेरी तकलीफे भेद नहीं पाए।
तुम्हारा प्रतिदिन के बदलते व्यवहार ने आज मुझे कई पीड़ाओ की"सखी"बना दिया है कई बार सोचती हूँ क्या मुझे तुम्हारी और मेरे बढ़ते कदमों को रोक लेना चाहिए था न???
दोस्तों आप भी इन झिरियों को वक्त रहते ही संभाल लेना नही तो रिश्ते उधड़ जाते है फ़िर नहीं बन पाते है।
Writer by
Anju Jangid Radhe
Pali Rajasthan