ख्वाब उतने ही देखे जो पूरे हो पाए बस लालसा के कीड़े न पनपने पाए

ख्वाब उतने ही देखे जो पूरे हो पाए 
बस लालसा के कीड़े न पनपने पाए

लालसा 

@द भास्वर टाईम्स 


यह एक ऐसा जीव है जो कभी मरता नहीं बस जो एक बार मनुष्य में घुस जाए तो बस दिन प्रतिदिन बस बढ़ता ही जाता। 
सब तरह से पूर्ण होते हुए भी हमारे जीवन में कुछ न कुछ रह ही जाता है, जीवन शुरू हुआ नहीं  की मातापिता आशाओं से घिर जाते है नौ माह तक यही बस हमारे वंश चलाने वाला हो जाए क्या क्या जतन पूजा पाठ मन्नत पीर फकीर मंदिर दर मंदिर लालसा बढ़ती जाती है।
फिर शुरू अच्छा जीवन सुंदर सपनों की दुकान में लालसाओं के बीज अंकुरित होने लग जाते है बस मातापिता अपने अधूरे ख्वाबों को बच्चों में देखने लग जाते घड़ी की सुई भी दिनभर इतनी नहीं घूमती जितनी मातापिता की घूमती है उसके बच्चे से अच्छा बनाना है उसको नीचा दिखाना है बस यही चक्र चलता है उनकी लालसा के चलते बस थोपने की प्रतिक्रिया चालू हो जाती है तुम्हें यह करना है तुम्हें यह नहीं करना कभी बच्चों से पूछा ही नहीं जाता सब कंट्रोल अपने हाथ में रखते है ।
बस इसी तरह व्यवसाय हो नौकरी कोई काम हो इंसान जकड़ता ही जाता ऐसा कर लू तो मेरी आमदनी ज्यादा बढ़ जाएगी पूरा दिन नौकरी करने के बाद भी ओवरटाइम करता कोल्हू के बैल की तरह दौड़ता ही रहता है तो भी खुश नहीं रह पाता न जाने क्यों कभी उसकी कोई किश्त अधूरी रह जाती तो अगली कोई वस्तु लाने की लालसा पनप रही होती है।
 इंसान संतुष्ट क्यों नहीं रह पाता लालसा के दलदल में इतना धंसता जाता है की वो कभी कभी तो गलत रास्तों की और चल पड़ता ही उसे भान ही न रहता है की उसने कौनसी राह पकड़ ली ।


Writer by 
Anju Jangid Radhe 
Pali Rajasthan