सिद्धपीठ गणेश मन्दिर में पंच कुण्डीय यज्ञ में कई साधू संत एवम भक्तगण होंगे शामिल

सिद्धपीठ गणेश मन्दिर में पंचकुण्डीय यज्ञ में कई साधू संत एवम भक्तगण होंगे शामिल
पाली(dk@pali)सिद्धपीठ गणेश मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद एक से तीन मार्च तक आयोजित धार्मिक महोत्सव के तहत एक मार्च को पंचकुण्डीय हवन होगा। जिसमें पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोंचार के साथ यज्ञ में आहूतियां दी जायेगी। मंदिर परिसर में यज्ञशाला का निर्माण हो चुका है। शास्त्र सम्मत यज्ञशाला के प्रत्येक द्वार पर अलग-अलग कलर की ध्वजा होगी।
मंहत चंचलगिरी महाराज, नारायणगिरी महाराज, गोविन्दगिरी महाराज, कन्हैयागिरी, महाराज, ब्रहमचारी महाराज, सुरेशगिरी महाराज, शिवशंकरगिरी महाराज ने शुक्रवार को यज्ञशाला में शास्त्र सम्मत तैयार हो रहे।यज्ञकुण्डों का जायजा लिया।
संतों के अनुसार यज्ञशाला में पांच यज्ञ कुण्ड तैयार हो रहे है। जिसमें पहला मध्य दिशा में चतुरस्त्र कुण्ड, दुसरा अग्निकोण दिशा में योनि कुण्ड, तीसरा नैऋतिकोण दिशा में त्रिकोण कुण्ड, चैथा वायव्यकोण दिशा में षटृकोण कुण्ड, पांचवा ईशान दिशा में अण्टास्त्र कुण्ड का निर्माण अंतिम चरण में है।
शास्त्रानुसार यज्ञशाला के चार द्वार है, पूर्व द्वार ऋगवेद द्वार महेन्द्र पर्वत को इंगित करता है जो सतयुग का प्रतीक है। दक्षिण का यजुर्वेद द्वार त्रेता युग का प्रतीक है जो विध्ंय पर्वत को इंगित करता हैं। पश्चिम का सामवेद द्वार द्वापरयुग का प्रतीक है जो गंधमादन पर्वत को इंगित करता है। इस तरह उतर का अथर्ववेद द्वार कलयुग का प्रतीक है जो हिमालय पर्वत को इंगित करता है।
मंदिर के मंहतों के अनुसार यज्ञशाला के सभी द्वारों पर शास्त्रों के विदान अनुसार अलग-अलग कलर की ध्वजा होगी।
इधर मंदिर के जीर्णोद्धार बाद आयोजित होने वाले तीन दिवस महोत्सव की तैयारियां इन दिनों जोर-शोर से जारी है। महोत्सव में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से साधु-संतों के आने का सिलसिला जारी है।