इस्कॉन पाली द्वारा 11 को राधाष्टमी महोत्सव आयोजन

इस्कॉन पाली द्वारा 11 को राधाष्टमी महोत्सव आयोजन
पाली। शहर में ऐतिहासिक जगन्नाथजी की रथयात्रा व भव्य श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के बाद इस्कॉन पाली के द्वारा भाद्रपक्ष शुक्ल अष्टमी, 11 सितम्बर को राधाष्टमी का आयोजन किया जायेगा इस्कॉन के कार्तिक कृष्ण प्रभु ने बताया कि अमरनाथ नगर, किसान केसरी गार्डन के पीछे पाली में स्थित इस्कॉन केन्द्र में आने वाली दिनांक भाद्रपक्ष शुक्ल अष्टमी, 11 सितम्बर को राधाष्टमी महोत्सव मनायाजायेगा
अभिषेक, कीर्तन, प्रतियोगिता, छप्पन भोग, प्रसादम्,
जिसमें सायं 4ः30 बजे से कार्यक्रम शुरू किया जायेगा जिसमें कीर्तन, अभिषेक, छप्पन भोग, आरती, कथा/प्रवचन, नाट्य, नृत्य आदि कार्यक्रम होगें उसके बाद सभी भक्तो के लिए प्रसादम् की व्यवस्था रहेगी। इस्कॉन के कार्तिक कृष्ण प्रभु ने बताया जाता है कि श्री राधा श्री कृष्ण के प्रेम का प्रतिरूप हैं, फिर भी राधा रानी श्री कृष्ण की सेवा के लिए आतुर रहती है। उनकी सभी चेष्टाएं केवल अपने प्राणप्रिय कृष्ण को सेवाओं से प्रसत्र करने पर केंद्रित होती है। वह वैंकुठ में देवी लक्ष्मी, द्वारका में समस्त महिषीगण, और व्र्रज में गोपांगना गण आदि रूपों में अपना विस्तार करती हैं। कृष्ण की तृष्टि हेतु, अंसख्य रूपों में स्वयं को विस्तारित कर वह कृष्ण सेवा में नियुक्त करती हैं, क्योकि सेवा ही प्रेम की पराकाष्ठा है। अतः सभी पाली जिले के समस्त भक्तजन राधाष्टमी महोत्सव में भाग लेवे।
कार्तिक कृष्ण प्रभु ने बताया की हरे कृष्ण महामंत्र जप-यज्ञ कलियुग में भगवत्प्रेम प्राप्त करने का सर्वोपरि सर्वसुलभ साधन, कृते यद्ध्यायतो विष्णुं त्रेतायां यजतो मखैः । द्वापरे परिचर्यायां कलौ तद्धरिकीर्तनात् ॥ भावार्थ : जो फल सत्ययुग में विष्णु का ध्यान करने से, त्रेतायुग में यज्ञ करने से तथा द्वापर युग में भगवान् के चरणकमलों की सेवा करने से, प्राप्त होता है, वही कलियुग में केवल हरे कृष्ण महामंत्र का कीर्तन करके प्राप्त किया जा सकता है। (श्रीमद भागवद पुराण - 12.3.52) सदा जपिये.... हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे और खुश रहिए।
इस्कॉन के बारे में बताया की इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (International Society for Krishna Consciousness, ISKCON) को हरे कृष्ण मूवमेंट के नाम से भी जाना जाता है। इस सोसाइटी की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने सन् 1966 में की थी। उनका जन्म कोलकाता में हुआ था। वे भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे और हमेशा कृष्ण भक्ति में ही लीन रहते थे। कृष्ण भक्ति की वजह से ही उन्होंने गौड़ीय संप्रदाय के अभिलेख लिखने का कार्य भी प्रारंभ किया। इस कार्य का स्वामी प्रभुपाद पर इतना बड़ा प्रभाव पड़ा की उन्होंने हरे कृष्णा मूवमेंट शुरू करने का मन बना लिया। इसके बाद उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी में इस्कॉन की स्थापना की थी। भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने सन्यांस लेने के बाद पूरी दुनिया में 'हरे कृष्ण, हरे राम' का प्रचार-प्रसार किया।
ऐसे हुई 'हरे कृष्ण मूवमेंट' की शुरुआत सन् 1965 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद अकेले ही अमेरिका की यात्रा पर निकल गए। न्यूयॉर्क शहर पहुंचने के बाद प्रभुपाद ने अपने हरे कृष्ण मूवमेंट को स्थापित करने के लिए एक साल अकेले ही संघर्ष किया। इसके बाद 1966 में न्यूयॉर्क शहर के लोअर ईस्ट साइड पर एक स्टोरफ्रंट से काम करते हुए, प्रभुपाद ने फिर भी दुनिया भर में भागीदारी के लिए एक आध्यात्मिक समाज की स्थापना की। उन्होंने इसे इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) नाम दिया। इस तरह अमेरिका में हरे कृष्ण मूवमेंट की शुरुआत हुई। आज दुनिया भर में इस्कॉन में 400 से अधिक मंदिर, 40 ग्रामीण समुदाय और 100 से अधिक शाकाहारी भोजनालाय शामिल हैं।
इस्कॉन का उद्देश्य क्या है?
इस्कॉन का उद्देश्य है कि इसके जरीए देश-दुनिया के लोग ईश्वर से जुड़ सके और वो आध्यात्मिक समझ, एकता और शांति का लाभ प्राप्त कर सकें। इस्कॉन वेदों और वैदिक ग्रंथों की शिक्षाओं का पालन करता है। इसमें श्रीमद्भागवत गीता शामिल है जो श्री राधा कृष्ण के सर्वोच्च व्यक्तिगत पहलू में वैष्णववाद या भगवान (कृष्ण) के प्रति भक्ति सिखाते हैं। इन शिक्षाओं को ब्रह्म-माधव-गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के नाम से जानी जाने वाली उपदेशात्मक परंपरा के माध्यम से प्राप्त की जाती हैं। इस्कॉन के अनुयायी दुनिया भर में गीता और हिंदू धर्म-संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हैं साथ लोगो को नशे से मुक्त करना, भाईचारे व् प्रेम सदभावना पूर्ण समाज की स्थापना करना हे