गुरू फूलनारायण जी का जीवन परिचय

गुरू फूलनारायण जी का जीवन परिचय
*श्रीगुरू फूलनारायण आश्रम में 5दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव 6से 10 जुलाई तक होगा* *आयोजित*
पाली /श्री गुरु फूलनारायण महाराज की जीवित समाधि स्थल, तपोभूमि एवं विश्व के समस्त श्रीमाली ब्राह्मणों का एकमात्र गुरुद्वारा श्री गुरू फूलनारायण आश्रम सोजत सिटी (पाली) राजस्थान में गुरू पूर्णिमा महोत्सव आषाढ़ सुदी एकादशी रविवार 6 से आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई गुरूवार तक हर्षोल्लास से मनाया जायेगा। आश्रम न्यास के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार त्रिवेदी ने बताया कि गुरुपूर्णिमा महोत्सव के इस भव्य आयोजन के कार्यक्रम की तैयारियां प्रारंभ करदी गईं हैँ. महोत्सव के सफल संचालन के लिए कार्यकारणी सदस्यों की समिति बनाकर कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गईं हैं
*गुरू फूलनारायण जी का जीवन परिचय*
श्री गुरू फूलनारायण आश्रम सम्पूर्ण भारत में श्रीमाली ब्राह्मण समाज का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र है। यहां की ऋषि परंपरा अनूठी रही है, सुकड़ी नदी के किनारे श्री नारायण लाल माहुडा ने कार्तिक शुक्ला दशम विक्रम संवत 1851 को संन्यास ग्रहण कर इसे तपस्या का केंद्र बनाया। संत के बहुमुखी व्यक्तित्त्व से प्रभावित होकर तत्कालीन जोधपुर महाराजा ने आश्रम हेतु 38 बीघा 11 विश्वा भूमि भेंट की। श्री नारायण स्वामी ने विक्रम संवत 1897 में समाधि ली। श्री नारायण स्वामी के प्रिय शिष्य फूलनारायण का जन्म 1852 में लुंडावास ग्राम में दीपचंद्र व्यास के यहां हुआ उनके बचपन का नाम फूलचंद था इन्होंने आषाढ़ शुक्ल तृतीया को गुरु नारायण स्वामी से दीक्षा ग्रहण की एवं कई वर्षों तक सुरेश्वर महादेव मंदिर पर कठोर तपस्या करते रहे। गुरु द्वारा दी गई मृग छाला को घोट कर पी गए गुरु ने उनकी सिद्धीयों से प्रभावित होकर अपने नाम के आगे इनका नाम देकर शिष्य को आशीर्वाद प्रदान किया। इनके चमत्कारिक किस्सों में एक मृत उंट को जीवित कर तीन टांगों पर दौड़ना, ठूंठेलाई नदी पर दुष्ट पिशाच का नाश करना एक अघोरी द्वारा हाथी बनाकर इन्हें चुनौती देने पर शेर बनकर उसे फाड़ डालना आदि प्रसिद्ध है। विक्रम संवत 1905 में इन्होंने आश्रम में बावड़ी खुद वाई उनकी कीर्ति सुनकर माघ शुक्ल पंचमी विक्रम संवत 1909 को जोधपुर महाराजा तख्त सिंह जी सपरिवार उनके दर्शन के लिए पहुंचे गुरु ने मुट्ठी भर सुकड़ी की रेत उनकी सेना की और उछाली तो संपूर्ण सेना सुगंधित गुलाल से सरोबार हो गई महाराज ने आश्रम भूमि सहित सुरेश्वर महादेव की 6.15 बीघा भूमि गुरुदेव के नाम कर दी। जहां इन्होंने विक्रम संवत 1892 में कुआं खुदवाया तथा विक्रम संवत 1903 में धर्मशाला रूपी कमरे बनाएं कहा जाता है कि गुरु फूलनारायण से मिलने गुरु गोरख नाथ, भर्तृहरि गोपीचंद तथा शंकराचार्य जी भी आए। अंत में दत्तात्रेय भगवान द्वारा दर्शन देने पर आपने आश्रम में ही कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी विक्रम संवत 1919 गुरुवार को जीवित समाधि सूर्योदय वेला में ले ली मगर उसी दिन पुष्कर, रतलाम व काशी में इन्होंने श्रद्धालुओं को दर्शन देकर चमत्कृत कर दिया। श्री गुरु फूल नारायण ने विक्रम संवत 1914 में सुरेश्वर महादेव पर एक शिवलिंग एवं नंदी की स्थापना की वं गर्मी में नदी की गर्म तपती रेत पर नंगे पांव खड़े रहकर तथा कड़ाके की सर्दी में कमर तक नदी के जल में खड़े रहकर एवं वर्षा में खुले आसमान के नीचे खड़े रहकर कठोर तपस्या करते थे। ऋषि परंपरा में अन्य ऋषि मुकुंद नारायण जी जोधपुर के कृष्ण राम त्रिवेदी के पुत्र थे आषाढ़ शुक्ला गुरु पूर्णिमा विक्रम संवत 1936 को आश्रम में गादीपति हुए यही से उन्हें मुकुंद नारायण के नाम से जाना जाने लगा इन्होंने शंकर बाग में एक बड़ी ही कलात्मक वापी का निर्माण करवाया मुकुंद नारायण आषाढ पूर्णिमा विक्रम संवत 1963 को आश्रम में ही ब्रह्मलीन हो गए। श्री ब्रह्म नारायण परंपरा के विद्वान ऋषियों में जोधपुर वासी देवी दान अवस्थी के पुत्र लादूराम भी शामिल हैं कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा विक्रम सम्वत 1964 को स्वामी नित्यानंद से दीक्षा ग्रहण करने के साथ ही तपस्या में रत रहे इन्होंने आश्रम में शंकराचार्य की मूर्ति स्थापित की तथा भगवान आशुतोष का मंदिर बनवाया.
न्यास संरक्षक रामेश्वर जोशी भाँवरी ने बताया कि संत श्री रघुवीरदास त्यागी जी महाराज एवं महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में आयोजित पंच दिवसीय महोत्सव में
6 जुलाई 2025, रविवार
प्रातःकाल महादेव रुद्राभिषेकम्
सांयकालीन भजन संध्या (श्रीमाली महिला मण्डल सोजत)
7जुलाईसोमवार.8 जुलाई 2025, मंगलवार.
प्रातःकाल महादेव रुद्राभिषेकम्
मेहंदी/रंगोली प्रतियोगिता
रात्रिजोगा-भुड़ायत माता मंदिर, लुण्डावास बुधवार, 9 जुलाई,
महाप्रसादी भुड़ायत माता मंदिर लुण्डावास एवं
विशाल भजन संध्या आश्रम परिसर पं. पियुष त्रिवेदी द्वारा होगी.
इसी प्रकार गुरुपूर्णिमा
10 जुलाई , गुरूवार को
प्रातः 7 बजे से 1 बजे तक महारूद्राभिषेक, 1 बजे से मेधावी विद्यार्थी एवं उत्कर्ष कार्य सम्मान समारोह सांय 3बजे से
स्वागत समारोह एवं वार्षिक रिपोर्ट पेश होगी, सभी श्रीमाली ब्राह्मणों को परम्परागत वेशभूषा में आने का आग्रह किया गया हैँ.
पंचदिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का लाईव प्रसारण
यूट्यूब लाइव पर किया जाएगा