खुशी और गम के साये साथ साथ

खुशी और गम के साये साथ- साथ
दिन उगता है सांझ भी होती है,,
तपती दुपहरी बाद रात होती है।।
जीवन बस उठना है चलना है,,
यादों के कारवाँ संग चलना है।।
पक्षी भी भोर होते चल देता है
भास्कर नई लालिमा उगता है।।
नई कोपले फिर खिलती है,,
पुष्पों से बगिया महकती है।।
बचपन गया जवानी आ गई है,,
देख हाथों में छड़ी आ गई है।।
नदी कहां रुकी सागर में समाती है,,
लहरों से मिलकर इठलाती है।।
खुशी सब साथ साथ आते है,,
दुख में साये भी साथ छोड़ जाते है।।
अंजू जांगिड़ "राधे"
सोजत,पाली जिला- राजस्थान