सचिन शर्मा के परिजनों को शासन से न्याय नही मिलने पर सोशल मीडिया पर फिर गरमाया मामला

सचिन शर्मा के परिजन को शासन से न्याय नही मिलने पर सोशल मीडिया पर फिर गरमाया मामला
दौसा, हाल ही में राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से बांदीकुई निवासी सचिन शर्मा की मौत हो गई थी। मामलें में जांच के बाद शासन द्वारा दोषियों के खिलाफ नाम मात्र की कार्रवाई की गई। शासन द्वारा सचिन शर्मा के परिजन को महज 5 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी गई है। सचिन शर्मा के परिजन को उचित मुआवजा नही मिलने के चलते सोशल मीडिया पर फिर गरमाया मामला। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा कि न्याय की राह बड़ी मुश्किल है। आज एक ईमानदार स्वीकारोक्ति करने का मन कर रहा है। पिछले सप्ताह मैने पहली बार किसी को न्याय दिलाने के लिए एक अभियान में हिस्सा लिया। दौसा जिले का एक जवान लड़का सचिन शर्मा हादसे का शिकार होता है उसे राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है।और वहां उसके साथ वह हो जाता है जो न केवल भयावह बल्कि पूरे सरकारी सिस्टम के लिए बेहद शर्मनाक भी था। सचिन को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया जाता है। नतीजन उसकी दोनों किडनिया खराब हो जाती है। और आखिरकार वह जिंदकी से हाथ धो बैठता हैं। एंबुलेंस में सचिन का शव उसके गांव पहुंचता है। और चंदा करके इसका 4500 रूपए किराया चुकाने से सामने आती है। उसके परिवार की खस्ता माली हालत। फिर पता चलता है कि सचिन के पिता भी किडनी पेशेंट है। और आजीविका कमाने के समक्ष नही हैं। घर में एक छोटी अविवाहित बहन है। घर में रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाला सिर्फ सचिन ही था। अफसोस तब और बढ़ गया जब सरकार ने यह सब कुछ सामने आने के बाद भी परिवार की बिल्कुल भी सुध नही ली। आखिर परिवार को गांव के कुछ लोगों के साथ सड़कों पर उतरना पड़ा। टंकी पर चढ़ना पड़ा। मिला सिर्फ आश्वासन। इधर सोशल मीडिया पर अभियान चला तो सरकार ने थोड़ी सी आंखें खोली। एक झूठा वाहवाही लूटने की कोशिश ऐसे की मानो शासन की और से बहुत बड़ा अहसान कर दिया हो। क्षोभ अब बढ़ गया था मैंने सभी प्रमुख नेताओं को सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत चिट्ठियां लिखीं। और उनसे आग्रह किया आगे आने का। कोई और होता तो नेतागण सचिन के घर सांत्वना देने पहुंचते लेकिन सचिन के परिजनों को सांत्वना लेने के लिए नेताओं के घर जाना पड़ा। फिर भी पूर्व सीएम अशोक गहलोत व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपनी और से चिट्ठियां लिखकर सरकार से मांग की कि सचिन के परिवार को बड़ी और उचित मदद दी जाए। और उसकी मौत के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। सोशल मीडिया के साथियों का बहुत अच्छा साथ मिला। बात देशभर में गूंजी भी लेकिन सरकार के कानों से टकराकर लौट आई। सरकार ने ऐसे चुप्पी साधी मानो सचिन के परिवार की मदद कोई अपराध हो। कोई गलत काम हो। सरकार का यह रवैया निराश करने वाला था। हालांकि इस बीच कुछ समाजसेवियों ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार आर्थिक मदद जरूर की। कुछ अन्य ने कानूनी मदद का भी भरोसा दिलाया। इस बीच मेरे ऊपर दबाव आने लगे रूक जाने को कहा गया। लेकिन मैंने साफ इन्कार कर दिया। मैं सचिन को भी नही जानता था। और उसके परिवार को भी। मैंने सिर्फ सरकार को उसकी ड्यूटी याद दिलाई। लेकिन कोई सुनवाई अभी तक नही हुई। सरकार और इसके मुखिया भजनलाल शर्मा जी अपनी हठधर्मिता पर अड़े रहकर सोच रहे होंगे कि वे जीत गए। हो सकता है जीत ही गए हो लेकिन मुखिया जी हम हारे नही हैं। हमने हारना सीखा ही नही है। हार मानना भी नही सीखा है।सचिन शर्मा के परिवार के साथ जब तक न्याय नही होगा।हम आपको आपका फर्ज याद दिलाते रहेंगे। नागरिक के तौर पर हमारा फर्ज हम निभाते रहेंगे। सरकार के तौर पर आपको आपका फर्ज निभाना होगा। आज नही तो कल हमारी कलम में ताकत होगी तो वो दिन जल्द आएगा।और हमें भरोसा है। कि हमारी कलम में वो ताकत है। अब बात सबक की।मुझे सबक यह मिला कि न्याय की राह बेहद कठिन है। इस राह में हजार मुश्किलें है। हजार दबाव है। शासन की तिरछी नजर का सामना भी करना है।लेकिन एक संतुष्टि, एक सुकून,एक खुशी तो मिलती है। और इसके आगे वो सारी तकलीफें वो सारे क्षोभ वो सारी नाकामियां बहुत छोटी लगती है। यूजर ने पोस्ट कर एक अपील की कहा इस पोस्ट को आप भले ही रिपोस्ट करें। भले ही कॉफी करके अपनी टाइमलाइन पर पोस्ट करें। लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, सीएमओ राजस्थान, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टैग जरूर करे। हमारी बात जरूर सुनी जाएगी सुननी पड़ेगी आज नही तो कल न्याय जरूर मिलेगा। पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा व अन्य मांग को लेकर सोमवार को सर्वसमाज के लोग जिला कलेक्टर को ज्ञापन दे सकते है।