राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय कवि चौपाल की 55 वीं काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय कवि चौपाल की 55 वीं काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय कवि चौपाल की 55वीं काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

दौसा। राजस्थान स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय कवि चौपाल की 55 वीं काव्य गोष्ठी बजरंग मैदान पर वरिष्ठ साहित्यकार अशोक दीप के मुख्यातिथ्य व प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र सिंह गुर्जर विशिष्ट आतिथ्य और वरिष्ठ साहित्यकार बाबूलाल बोहरा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी की शुरुआत अतिथियों द्वारा माँ शारदे के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ ही कवि बुद्धि प्रकाश महावर ने सरस्वती वंदना से की। काव्य गोष्ठी में अनिल कुमार गुर्जर एवं उपाध्यक्ष बृजमोहन मीना को राष्ट्रीय कवि चौपाल सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉ. राजेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा कि राष्ट्र की विकास की उन्नति में साहित्यकारों का विषय योगदान हैं। काव्य गोष्ठी के संयोजक कवि कृष्ण कुमार सैनी ने "राजस्थान पूरा हिन्दुस्तान में महान हैं" और  ‘पूरा होगा संत मुनियों का स्वप्न एक दिन, विश्व गुरु भारत यह पुनः कहलाएगा’...कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरी। जयपुर से पधारे कवि हितेष कुमार शर्मा ने क्यारी धोरा करतो मानस, लीक–लीक पर जीव धरै...? कवि अशोक दीप ने ‘देश प्रेम रा नाम पै, बस इतरो ई ज्ञान,शीश हिंद ई देह सै हिवड़ो राजस्थान’....राजस्थानी रचना सुनाई।  संस्था के जिलाध्यक्ष कवि कृष्ण कुमार सैनी को कवि अशोक दीप ने "नदी एक जो रेतां रलगी" नामक स्वरचित काव्य संग्रह भी भेंट किया।  संस्था के वरिष्ठ सलाहकार बाबूलाल बोहरा ने ‘मरुधर म नित निपजै, मायड जाया पूत’.. गोपाल टेलर ने हास्य व्यंग्य सुनाए.. ! बृजमोहन मीना ने ‘कीमत मां की ममता की भूल गए या नहीं पता’..अनिल कुमार गुर्जर ने गीत रंग बसंती प्रस्तुत किया। वन्दना जोन ने श्रद्धांजलि गीत...! बनवारी लाल शर्मा ने हास्य कविता ‘मेरे मोहल्ले की होली को कोई मुहूर्त से पहले ही दफना गया’..!रूचिता खण्डेलवाल ने राजस्थानी कविता सुनाई...! अशोक खेडला ने ‘किया था वादा हमारे साथ चलने का’..! अनिल कुमार सैनी ने ‘कहो गर्व से हम हैं राजस्थानी’...! रामेश्वर प्रसाद करुण ने क्यों बैठे हो सुने–सुने अपनी कलम उठाओ रे...!लोकेन्द्र भारद्वाज ने ‘आग तन की बुझाई’...?कुमार जे. संतोष ने मुझे मेरा रूप ही स्वीकार है...! डिनो सैनी ने कुछ तो शिकायत है गुलाबों से मुझको....! राजेंद्र यादव आजाद ने हास्य क्षणिका सुनाई....! राकेश कुमार मेहरा ने स्लोगन सुनाए।  काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए कवि दिनेश कुमार तूफानी ने "वह मेरी प्यारी माता है, मैं तूफानी बेटा हूं..? कविता सुनाई। राष्ट्रीय कवि चौपाल के संरक्षक रवीन्द्र चतुर्वेदी ने पधारे हुए सभी साहित्यकारों का आभार प्रकट किया।