साहित्यकार की कल्पना अब्दुल समद राही

साहित्यकार की कल्पना अब्दुल समद राही
पोथी परख- हियै रा हर्फ सबदां रा कल्प बणण रौ तानो बानो है- सबदां री कळियां
हियै रा हर्फ अर कल्पना रौ कल्प (कल्प वृक्ष) इज कवि री साहित्यिक ऊरमा नै मापण रौ जरियौ है ओ सगळौ निर्भर करै उणरा परिवेश माथै।जद कवि रौ सिरजण शुरू हुए उण री रचनात्मकता में अनुभव, आचरण अर आस्था इज सबदां रा रूप में सामी आवै। *डॉ काळू खां जी देशवाळी* आपरै वय रा सात दशक रै आसै पासै जथारथ रै सागै कल्पना नै साकार करण री शूरुआत करी जिण री परिणीती *सबदां री कळियां* रै रूप में आपरै सामी है । इण कविता संग्रै में अबखायां रौ अनुभव,भूल नीं करण री भुळावण, जोड़ण री जुगत, नवी पीढ़ी में निठतौ नेह ,आथूणी सभ्यता रै प्रति आकर्षित व्हैतो नवौ चलन यां सगळां नै पाठक कानी राखण रौ जा जो जतन है। जिण में पाण्ड सूं परै आडम्बर सूं अळगौ रह्य 'र संस्कार सिखावण रौ सार्थक प्रयास है।
*डॉ काळू खां ने देशवाळी* ओ कवितावां रौ चोसरौ आपरै निरखण ,परखण खातर न्यारा-न्यारा विषयां नै समेटता जकौ चाहै देशभक्ती व्हो ,भूर्ण हत्या व्हो, राजनीतिक परिवेश व्हो, पर्यावरण संरक्षण व्हो, साम्प्रदायिक सद्भाव व्हो, अलोप व्हैती अपणायत व्हो, खरी अर खारी कैवण री खमता व्हो नै घणी सुझबुझ सूं प्रस्तुत करी है
कविता लेखण समै काल रै अनुरूप बदळतौ रयौ है। वर्तमान समै में आधुनिक काल री कवितावां रामधारी सिंह दिनकर, सूर्य कांत निराला, हरिवंशराय बच्चन आद री शैली सूं प्रभावित होयर अतुकांत कवितावां लिखी जा रयी है। जिणरै आधार माथै कवि आपरी बात सीधी अर साफ सबदां में व्याकरण रै बंधण सूं मुक्त पाठकां रै बीचै राखै है। क्यूं कै इण तरै री कवितावां व्याकरण रै नियम सूं मुक्त होवै है। जिणनै पाठक सहजता सूं पढ़ अर कविता री मूल भावना नै समझ लेवै। हां इण कवितावां नै शाब्दिक अर तार्किक रूप सूं मापां जदै साहित्य जग में सै सूं घणी चावी होवण सूं लारै नीं रेय सकै
सबदां री कळियां कविता सग्रै रा लिखारा *डाक्टर काळू खां देशवाळी* साहित्य जग में आपरी न्यारी निराळी पैठ राखै। आप साहित्य री हरऄक विधा में निपुण है अर किणी परिचै रा मोहताज कोनी। समाज, शिक्षा रै सागै साहित्य आभा में लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कारां सूं नवाज्या है। *डाक्टर काळू खां जी देशवाळी* अपणी राजस्थानी मायड़ भाषा रा मन नै छूवण वाळा सबदां नै समेट अर सबद गुच्छ रै रूप में सबदां री कळियां शीर्षक सूं भांत भांत रा रंगा री कवितावां संग्रै रै रूप में आपारै सामी राखी है। जिकौ सरावण नै बखावण जोग है।
पोथी रौ प्रकासण शबनम प्रकाशन सोजत सिटी करियौ है। जिणरौ मुख पृष्ठ रौ चितराम जीतांशु टांक शुभ ग्राफिक्स सोजत करियौ है जिकौ कवर नै आकर्षित करणै में कीं कमी नीं राखी है। प्रिंटिंग पाइंट जोधपुर सूं छपी आ पोथी आकर्षक फोन्ट में त्रुटि रहित सामी आई है इण वास्तै मुद्रक अर प्रकाशन री टीम नै बधाई देऊं।
होळी रै तड़क-भड़क रंगा सूं सराबोर रंग-रंग रा विषै नै समेटती नेनी-नेनी कवितावां भाषा रै मीठा सबदां नै ऄक डोरी में पिरोय डाक्टर देशवाळी सा सबदां री कळियां नाम री पोथी रौ संयोजन करियौ है जिकौ घणौ चोखौ अर सरावणजोग है। इणमें न्यारा न्यारा तेवर री 59 कवितावां सीख देवती प्रेरणादायी कवितावां भेळी है। जिकी पाठकां नै शुरू सूं लेयर आखिर तांई बांधयोड़ौ राखै। सबदां रौ चयन अर उणरी सार्थकता काबिले तारीफ है।
प्रकृति रौ परेम, मिनखां रौ कर्तव्य बोध, चावै रंगीली संस्कृति नै उछब री बात होवै नै सीमा माथै सैनिकां री सौगात होवै। सगळा विषै नै अपणी कवितावां रै माध्यम सूं पेश कर सबदां री कळियां नाम री इण पोथी नै खुशबूदार खिलयोड़ा फूलां रै रूप में पेश करण में कीं कोर कसर नीं राखी है। म्हैं खुद ई डाक्टर देशवाळी रै लेखण सूं घणौ प्रभावित होयौ हूं।
राजस्थानी भाषा में न्यारा न्यारा रस अर रंगा नै अपणी सरल, सपाट अर अतुकांत कवितावां रै रूप में पेश करण में सबदां रौ चयन घणौ मेतव राखै। सबदां रौ सामन्जस्य अर समन्वय री उपयोगिता ई लेखक कवि नै पाठक वर्ग सूं ऊंचाइयां दिलावै। ऄ ऊंचाइयां सबदां री कळियां कविता संग्रै दिलावण में कामयाब है।
कवि री कविता *हेत रौ पाठ* में सहज सबदां में प्रेम रौ संदेश देवता ऄ सबद-
बागां मांय
भांत भांत रा
रंग अर सौरभ भरिया
फूल खिलै
हिल मिल'र अठखेलियां करता
थाक्या नीं थकै
ऄ इज तौ आपां नै
पग-पग माथै
पाठ
हेत रौ पढावै।
प्रकृति सूं मिनख रै हेत प्रेम रौ संदेश देवै है।
*सबद* कविता में शबद नै हियै रौ मैल धोवण वाळौ बतायौ है। ओळिया देखौ-
चित मांय
कर चांनणौ
अर
सबदां रै
साबुण सूं
धोयलै
मन रौ मैल।
वर्तमान राजनीतिक नै दरसावण वाळी कविता *दळ-बदलू* रै रूप में राजनीति माथै करारी चोट करै है देखौ-
गांधी
थारा
बांदरा
लगाय रिया
छलांगां
इणी में
दिन रात
मस्त रैतां
अबै
बदळ रिया
नित नूंवी-नूंवी
टोपियां।
*भ्रुण हत्या* कविता रै माध्यम सूं गर्भ में टाबरां नै मार देवण जिसी गंभीर विषै नै छूवण रौ प्रयास सरावणजोग है।
मिनखपणा नै जार-जार करण वाळी घटनावां रौ जिणमें युवा पीढ़ी द्वारा आपरै मायत री कदर नहीं कर उण मायता नै तावै उण मायता री दोराई *सोच* कविता में दरसाई है।
कवि डॉ देशवाळी मिनख जूण सूं जुड़िया हरऄक विषै नै आपरै कविता संग्रै में पळोटण री कोसिस करी है इण खातर ऄ बधाई रा हकदार हैं।
कवि रै बारै में जगचावा साहित्यकार डॉ लक्ष्मीकांत व्यास अर डॉ मिनाक्षी बोराणा नै पोथी में दोय सबद मांड अर भाषा री समृद्धता नै उल्लेखित करता थकां पाठकां री सरावणा मिलणै री बात कैयी है। अपणी बात *हिवड़ै री हिलोर* में लेखक अपणै लेखकीय जीवण रौ परिचै सहज रूप सूं देयर विध्वजनां रै प्रति कृतज्ञ भाव निभाया है।
पोथी : सबदां री कळियां
लेखक : डॉ काळूखां देशवाळी
संस्करण : 2023
मोल : 200/- रुपिया
प्रकाशक : शबनम प्रकाशन, सोजत सिटी
समीक्षक -
अब्दुल समद राही
अध्यक्ष प्रबंध निदेशक
शबनम साहित्य समिति
सोजत सिटी, राजस्थान
मो. 9251568499